Friday, 25 August 2017

गणेश बने प्रथम पूज्य और इनका वाहन हुआ मूसक |

एक समय की बात है जब कैलाश में महादेव एवं माता पारवती वार्तालाप कर रहे थे तभी वहां पास में ही उनके दोनों पुत्र कार्तिके और गणेश खेल रहे थे | शिव एवं पार्वती उन्हें साथ में खेलता देख आनंदित हो रहे थे तभी अचानक खेलते-खेलते कार्तिके और गणेश में झगड़ा शुरू हो गया | झगड़ा यह था कि कार्तिके जी ने गणेश जी को कहा कि तुम इतने मोटे हो और तुम्हारा वाहन चूहा इतना अजीब और छोटा, यह तो तुम्हारे भार से ही दब जाता होगा | गणेश जी ने कार्तिके को प्रतिउत्तर देते हुए कहा कि भले ही मेरा वाहन छोटा है पर यह बहुत चालाक है और तुम्हारे वाहन मयूर के पैर तो देखो कैसे टेढ़े-मेढ़े है | दोनों में झगड़ा समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा था तभी दोनों ने फैसला किया कि चलो माता-पिता से ही पूछ लेते है |जब दोनों अपने माता-पिता शिव और पार्वती के पास पहुंचे और उनको सारा किस्सा बताया तो माँ पारवती ने कहा कि देखो तुम दोनों में जो भी साड़ी प्रथ्वी की सात परिक्रमा पहले करलेगा उसी को विजयी घोषित किया जाएगा |

ऐसा सुनकर कार्तिके गर्व से सोचते हुए कि मेरा वाहन तो गणेश के वाहन से तेज है में तो इससे पहले परिक्रमा लगाकर लौट आऊंगा, अपने वाहन मयूर में बैठकर चले गए | अब भगवान गणेश कि बारी थी तो उन्होंने अपने बुद्धिबल का इस्तमाल कर वह सरोवर में नहाए और फिर आकर अपने माता-पिता कि सात परिक्रमा कर के हाथ जोड़ कर खड़े हो गए | तभी माँ पार्वती ने पूछा कि यह क्या गणेश तभी गणेश जी ने उत्तर देते हुए कहा कि मेरे माता-पिता ही मेरे लिए सब कुछ है अतः आपकी परिक्रमा प्रथ्वी की परिक्रमा करने के बराबर है | यह सुनकर भगवान शिव और पार्वती बड़े प्रसन्न हुए और जब कार्तिके लौट कर आए तो उसे सारी बात बताते हुए माँ पार्वती ने कहा कि इस प्रतियोगिता में गणेश विजयी हुआ | ऐसा सुनकर कार्तिके बहुत क्रोधित हुए और बोले कि माता आप हमदोनो में भेदभाव करती हो आपको गणेश ही अधिक प्रिय है और प्रतिज्ञा ली कि में आज के बाद कभी किसी स्त्री का मुख नहीं देखूंगा | फिर कार्तिके रूठकर क्रौन्चगिरी पर्वत कि ओर चले गए और इस तरह भगवान गणेश अपनी बुद्धिबल से प्रतियोगिता जीतकर प्रथम पूज्य होने के अधिकारी बने |

डेरा सच्चा सौदा, राम रहीम केस LIVE: साध्वी रेप केस में बाबा राम रहीम दोषी करार, सेना की कस्टडी में रहेंगे

Dera Sacha Sauda, Ram Rahim Singh LIVE: बाबा राम रहीम पर आज (25 अगस्त) को फैसला आएगा। राम रहीम के हजारों की संख्या में भक्त पंचकुला पहले ही पहुंच चुके हैं। पुलिस को भीड़ के हिंसक होने की आशंका है।

Ram Rahim Singh, Dera Sacha Sauda Case LIVE: बाबा राम रहीम पर फैसला आ गया है। उन्हें दोषी करार दिया गया है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि उनको जेल किस रास्ते तक लेकर जाया जाएगा। अभी उनको कोर्ट परिसर के बाहर लेकर नहीं जाया गया है। कहा जा रहा है कि उनको सेना की कस्टडी में रखा जाएगा। रहीम सिरसा से 800 गाड़ियों के साथ निकले थे।
यहां पढ़ें बाबा राम रहीम केस से जुड़ी लेटेस्ट अपडेट:
3.10 PM: राम रहीम को हाई कोर्ट ने बलात्कारी करार दिया गया है।
3.00 PM: बीच में अफवाह उड़ी कि राम रहीम को बरी कर दिया गया है। इसपर लोगों ने नाचना शुरू कर दिया।
जजों ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया है।
कोर्टरूम में कुल सात लोग मौजूद हैं। इसमें दो पुलिसवाले भी शामिल हैं। राम रहीम हाथ जोड़कर जज के सामने खड़े हैं।
मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि अदालत का जो भी निर्णय होगा माना जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों को संभालने का पूरा इंतजाम कर लिया गया है।

Thursday, 3 August 2017

चीन से तोड़ी 7800 अरब की डील, मोदी बोले- युद्ध से पहले चीन को कंगाल कर दूंगा

चीन से तोड़ी 7800 अरब की डील, मोदी बोले- युद्ध से पहले चीन को कंगाल कर दूंगा
अगर आप भारत और चीन के बीच मौजूदा तकरार को लेकर ख़बरों की सुर्खियां पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि दोनों ही देश लड़ाई को लेकर एक दूसरे को डरा-धमका रहे हैं.
दोनों ही देशों के बीच जबानी लड़ाई एक-दूसरे को धमकी देने वाली है. एक भारतीय अख़बार का कहना है कि चीन इसलिए चेतावनी दे रहा है ताकि "यह तकरार बढ़कर युद्ध संघर्ष तक पहुँच जाए."
इसी बात को इस तरह से भी व्यक्त किया जा रहा है, "चीन ने अपना रुख कड़ा किया."
चीन की सरकारी मीडिया ने भारत को 1962 की लड़ाई में मिली शिकस्त की याद दिलानी शुरू कर दी है.
'द ग्लोबल टाइम्स' ने सबसे पहले भारत पर भूटान की स्वायत्ता में सड़क परियोजना के बहाने दखल देने का आरोप लगाया और फिर लिखा कि अगर भारत, "चीन के साथ टकराव को बढ़ावा देता है तो उसे इसके परिणाम झेलने पड़ेंगे."

चीनी सैनिकइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

डोकलाम का इलाका

भारत और चीन के बीच मौजूदा तकरार की शुरुआत जून के मध्य में शुरू हुई थी. तब भारत ने डोकलाम क्षेत्र में सड़क निर्माण के बहाने चीन के दखल का विरोध किया था.
डोकलाम चीन, पूर्वोत्तर भारत के राज्य सिक्किम और भूटान के बीच का क्षेत्र है और अभी चीन और भूटान के बीच इसे लेकर विवाद है. भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है.
भारत की चिंता यह है कि अगर यह सड़क बन जाती है तो चीन भारत के बीस किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर 'चिकन्स नेक' के नज़दीक पहुंच जाएगा. यह गलियारा पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत के मुख्यभाग से जोड़ता है.
जब से ये तकरार दोनों देशों के बीच शुरू हुई है, दोनों ही पक्षों ने अपनी-अपनी फ़ौज को सीमा पर तैनात कर रखा है और एक-दूसरे को पीछे हटने की धमकी दे रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब दोनों देश एक-दूसरे के सामने सीमा-विवाद को लेकर आए हैं. छोटी-मोटी मुठभेड़ तो भारत-चीन सीमा पर होती रही है.

चीन सीमा पर भारतीय सैनिकइमेज कॉपीरइटAFP/GETTY IMAGES

चीन की चेतावनी

1967 में भारत और चीन के बीच संघर्ष हो चुका है. इसके अलावा 1986-87 में दोनों देशों के बीच अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर लंबे समय तक तनातनी रह चुकी है.
विशेषज्ञ अजय शुक्ला कहते हैं, "भारत को लगता है कि चीन, भूटान को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को परख रहा है. चीन हमेशा से भूटान के साथ भारत के करीबी रिश्ते को लेकर नाराज़ रहता है. इसलिए वो हमेशा इसे तोड़ने की कोशिश करता रहता है."
इस बार चीन ने भारत के ख़िलाफ़ दांव लगा रखा है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने बीजिंग में पत्रकारों से मंगलवार को कहा, "भारतीय फ़ौज को 'टकराव की स्थिति को बढाने से रोकने' के लिए डोकलाम के इलाक़े से पीछे हट जाना चाहिए.
भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की चेतावनी को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है.



सिक्किम को भारत का हिस्सा नहीं बनाना चाहते थे चोग्याल

चीन को लेकर आशंका

चीन के मसलों पर करीब से नज़र रखने वाले एक विशेषज्ञ ने मुझ से कहा, "आम तौर पर चीन की तैयारी ऐसे ही बयानबाजी और चेतावनी के साथ होती है. इसलिए हमें चीन को हल्के में नहीं लेना चाहिए या इसे सिर्फ़ धमकी नहीं समझना चाहिए."
1962 में चीन की सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने पहले ही चेतावनी दी थी कि, "भारत को लड़ाई से अपने कदम पीछे खिंच लेने चाहिए."
1950 में कोरिया के साथ लड़ाई के दौरान चीन ने अमरीका को चेतावनी दी थी कि अगर वो येलो नदी पार करते हैं तो चीन भी लड़ाई में कूद पड़ेगा.
दक्षिण कोरिया और उत्तरी कोरिया के बीच छिड़ी इस लड़ाई में अमरीका दक्षिण कोरिया की तरफ से था, वहीं चीन उत्तरी कोरिया की ओर से. तत्कालीन सोवियत संघ ने भी भी उत्तर कोरिया का साथ दिया था.
मौजूदा परिस्थिति में ऐसा बिल्कुल दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि चीन वाकई में युद्ध की ही तैयारी कर रहा. दोनों ही पक्ष इस तकरार के लिए एक-दूसरे को जिम्मेवार ठहरा सकते हैं.

भारत और चीन के बीच 1962 की लड़ाई की फ़ाइल फोटोइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionभारत और चीन के बीच 1962 की लड़ाई की फ़ाइल फोटो

भूटान की मदद

2012 में चीन भूटान और बर्मा के साथ सीमा को लेकर एक साझे निष्कर्ष पर पहुंच चुका था. तब से उनके बीच कोई तकरार अब तक पैदा नहीं हुआ है.
भारत का कहना है कि चीन ने इस बार सड़क बनाकर यथास्थिति का उल्लंघन किया है. भारत ने अपनी फ़ौज भूटान की ओर से मदद मांगने के बाद भेजे.
चीन का दावा है कि भारतीय फ़ौज ने डोकलाम में भूटान की मदद करने के बहाने दखल दिया है और यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.
चीनी थिंक टैंक के एक विशेषज्ञ लांग शिंगचुन कहना है, "पाकिस्तान के अनुरोध पर कोई तीसरा देश इसी तर्क का इस्तेमाल करते हुए कश्मीर में दखल दे सकता है जो तर्क भारत की फ़ौज ने डोकलाम में सड़क निर्माण रोकने के लिए किया है. अगर मान लिया जाए कि भूटान ने भारत से ऐसा करने को कहा भी तो यह सिर्फ़ भूटान के ज़मीन तक सीमित रहना चाहिए था ना कि उस सीमा तक जो विवादित क्षेत्र में आता है."

नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंगइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionनरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग

डोभाल की प्रस्तावित चीन यात्रा

साफ है कि इस तकरार को ख़त्म करने के लिए तीनों पक्षों को एक समाधान पर आना होगा. हालांकि कई लोगों को मानना है कि इसमें काफी समय लग सकता है.
भारत और चीन के बीच रिश्ते ऐसे भी कई सालों से तनावग्रस्त बने हुए हैं. दोनों ही देशों ने इस महीने की शुरुआत में जी20 की बैठक के दौरान इस मुद्दे को हल करने का मौका गंवा दिया है.
भारत का कहना है कि शी जिनपिंग के साथ मुलाकात जी-20 की बैठक के दौरान एजेंडे में नहीं था. दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक के लिए सही माहौल नहीं था.
एक दूसरा मौका अभी हाल ही में फिर से दोनों देशों को मिलने वाला है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस महीने के अंत तक ब्रिक्स की मीटिंग को लेकर बीजिंग जाने वाले हैं.



नए सिल्क रूट पर दुनिया की चिंता

ख़राब संबंध

बहुत संभव है कि वह वहां अपने चीनी समकक्ष यांग जेची से मिलें.
एक पूर्व राजनयिक कहते हैं, "दोनों ही देशों ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है. लेकिन मुश्किल परिस्थितियों में चीजें को दुरुस्त रखना ही कूटनीति है."
दोनों ही देशों में संबंध खराब होने के बावजूद शायद ही किसी तरह संघंर्ष हो.
दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो श्रीनाथ राघवन का कहना है, "मैं नहीं सोचता कि कोई पक्ष लड़ाई चाहता है. किसी की भी इसमें दिलचस्पी नहीं है. लेकिन दोनों ही देशों की प्रतिष्ठा जरूर पर दांव लगी हुई है और इसकी वजह से यह तकरार लंबे वक्त तक सकता है."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमेंफ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)