Wednesday, 9 December 2015

नीतीश कुमार तीसरी बार बिहार के सीएम बनने के बाद आत्‍मविश्‍वास से भरे नजर आ रहे हैं, यकीनन ये विश्‍वास प्रधानमंत्री बनने का सपना देता है, लेकिन बिहार की ये हकीकत आपको हैरत में डालती है।

एक विकसित बिहार की कल्पना करने के लिए जरूरी है उसके भविष्य के बारे में सोचना। मतलब बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी बहस होनी चाहिए। 52 प्रतिशत बच्चें जो कि कुपोषित हैं उनकी भी सुध लेनी होगी। सरकार को- 2011 के जनगणना के आकड़ों के अनुसार, भारत में 0 से 18 साल के बच्चों की कुल संख्या 40 करोड़ है। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आकड़ों के मुताबिक बिहार में पांच साल से कम उम्र के 52 फीसदी (लगभग 66 लाख) बच्चे तमाम विकासशील योजनाओं के बावजूद भी गंभीर रूप से कुपोषित हैं।
हालांकि सरकार ने कुपोषण को कम करने के लिए मानव विकास मिलन और बाल कुपोषण मुक्त बिहार जैसे पहल शुरू किए हैं पर अब भी हम काफी पीछे है। ऐसे में बिहार के बेहतर भविष्य के लिए इन मासूमों के स्वास्थ्य की चिंता करनी होगी। इनको नजरअंदाज कर हम वर्तमान तो सुधार सकते हैं, लेकिन भविष्य नहीं।
बिहार में एक लाख सत्तर हजार है बाल मृत्यु दर का आंकड़ा- भारत में प्रत्येक साल 2 करोड़ 60 लाख बच्चों का जन्म  होता है, जिनमें से 09 लाख 40 हजार बच्चों की मृत्यु एक माह से पहले हो जाती है। भारत में पांच साल की उम्र तक पहुंचने से पहले हर साल लगभग 14 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है, जबकि बिहार में ऐसे बच्चों की संख्या 1 लाख 70 हजार है। एसआरएस 2013 के अनुसार पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत 54 (प्रति हजार जीवित जन्मों में) है जबकि बिहार का औसत 57 है। बिहार में प्रति वर्ष 30 लाख बच्चों का जन्म होता है, जिनमें से 90,000 नवजात शिशुओं की मृत्यु उनके जीवन के एक महीने पूरा करने से पहले हो जाती है, जो देश की कुल नवजात बच्चों की मौत का लगभग 11 प्रतिशत है।
राज्य का हर तीसरा बच्चा है टीकाकरण से वंचित  बिहार में टीकाकरण का वर्तमान आकड़ा 70 प्रतिशत है पर अब भी 33 प्रतिशत बच्चे टीकारकण से वंचित रह जाते हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत बिहार के 14 जिलों में और मुख्यमंत्री सघन टीकाकरण अभियान के तहत शेष 24 जिलों में विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं, उसका बेहतर प्रभाव संपूर्ण टीकाकरण पर पड़ा है। बिहार में 10 से 19 साल की किशोरियों की कुल संख्या 1 करोड़ (10 मिलियन) है, इनमें से लगभग 90 प्रतिशत किशोरियां एनीमिया से पीड़ित हैं।

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