भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में देश का सबसे वजनी 3700 किलो का महाघंटा लगेगा। यह अहमदाबार में तैयार हो रहा है। इसी साल सितंबर में इसे मंदिर में लगा दिया जाएगा। पीतल, तांबा, टिन, सोना और चांदी से बन रहे महाघंटे की लागत 40 लाख रुपए आएगी। अभी सबसे वजनी 1935 किलो का घंटा दतिया के माता मंदिर में लगा है।
पशुपतिनाथ मंदिर के मास्टर प्लान में इसे भी शामिल किया है। सितंबर तक महाघंटे को स्थापित किया जाएगा। इसके लिए श्रीकृष्ण कामधेनु सामाजिक धार्मिक न्यास ने गांव-गांव से धातु व दान राशि एकत्र करने का अभियान शुरू किया था जिसे लोगों को अच्छा सहयोग मिला।
2015 में शुरू हुई थी अभियान की शुरुआत
संस्था ने 2015 में पशुपतिनाथ मंदिर में महाघंटा अभियान की शुरुआत की थी। शुरू में महाघंटे का वजन 1650 किलो रखना तय किया। संस्था के सदस्यों को दतिया के माताजी के मंदिर में 1935 किलो वजनी का घंटा होने की जानकारी मिली तो मंदसौर में लगाए जाने वाले महाघंटे को 2100 किलो का बनाने का लक्ष्य तय किया। इसके आधार पर संस्था सदस्यों ने जिले के गांव-गांव, मोहल्लों में पीतल दान यात्रा निकाली जिसमें लोगों से धातु व नकद राशि के रूप में सहयोग लिया। करीब 68 गांवों मेंे 138 यात्राएं निकालीं।
उम्मीद से ज्यादा सहयोग मिला तो संस्था सदस्यों ने महाघंटे को 2500 किलो का बनाने का निर्णय लिया। कामधेनु संस्था ने महाघंटा निर्माण के लिए अहमदाबाद के राजराजवी मेटल प्रालि को काम सौंपा। यहां महाघंटे के लिए तैयार किए गए विशेष सांचे में गेज ज्यादा हो जाने पर महाघंटे का वजन 3700 किलो हो गया। इससे यह देश का सबसे वजनी महाघंटा बन गया। संस्था सदस्यों के अनुसार इतना वजनी महाघंटा देश में कहीं नहीं लगा है।
35 किलो बॉल्वबाडी दान की
संस्था सदस्यों ने शहर सहित जिले के हर गांव में पीतल दान यात्रा निकाली। जिससे जिले के हर व्यक्ति का सहयोग महाघंटा अभियान में रहे। संस्था को इस कार्य के लिए कई उद्योगपतियों ने लाखों रुपए, 109 किलो तक धातु का सहयोग भी दिया। नगरी ग्राम के प्रमोद ने जो सहयोग किया वह भुलाया नहीं जा सकता। प्रमोद नगरी में वाहनों के पंक्चर बनाते हैं। वे रुपए के लिए करीब चार-पांच सालों से वाहनों के ट्यूब खराब होने पर उनकी बॉल्वबाडी एकत्र कर रहे थे। प्रमोद ने सोचा था कि पीतल की बॉल्वबाडी को बेचकर एक साथ मोटी राशि लूंगा। जब गांव में पीतल दान यात्रा पहुंची तो प्रमोद ने बिना कुछ सोचे महाघंटा के लिए संस्था सदस्यों को सालों में एकत्र की गई 35 किलो बॉल्वबाडी दान कर दी।
इस तरह चली महाघंटा यात्रा
- 2015 अगस्त में पहली यात्रा
- 68 गांव मेें घूमे, 138 यात्रा निकाली
44 क्विंटल 50 किलो पीतल मिला दान में
- 15 लाख 32 हजार रुपए नकद मिले
- 40 लाख कुल लागत आएगी
- 20 लाख बनाने में खर्च होंगे
- 6 फीट 2 इंच महाघंटे की ऊंचाई
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